लखनऊ और राजस्थान के बीच मैच में दिखा टी20 का भविष्य

दोनों टीमों ने कुछ शानदार रणनीति बनाकर अंतिम ओवर तक मैच को ज़िंदा बनाए रखा

Play 01:13
हां या ना : अश्विन को रिटायर आउट करने का फ़ैसला सही था

टी20 का भविष्य कैसा होगा?

ज़वाब है, जो आपने आईपीएल में रविवार को देखा वैसा होगा।

रविवार को राजस्थान रॉयल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच हुए रोमांचक मुक़ाबले को राजस्थान ने तीन रन से जीता। लेकिन इस मैच को इसके परिणाम के लिए नहीं बल्कि अनोखे रणनीतियों के लिए जाना जाएगा।

रविवार को लखनऊ के लिए जेसन होल्डर के साथ मार्कस स्टॉयनिस भी उपलब्ध थे। स्टॉयनिस के लिए उन्होंने एविन लुइस को बाहर बैठा दिया, जिन्होंने लखनऊ को पिछला मैच ही जिताया था। इसका मतलब साफ़ था कि लखनऊ अधिक से अधिक ऑलराउंडर के साथ खेलना चाहती है, ताकि उनके पास गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी में भी अधिक से अधिक विकल्प हो। अब उनके पास एकादश में शामिल करने के लिए होल्डर, स्टॉयनिस के साथ ही क्रुणाल पंड्या, दीपक हुड्डा और कृष्णप्पा गौतम जैसे पांच विशेषज्ञ ऑलराउंडर थे। इसके अलावा उनके पास दुष्मांता चमीरा भी थे, जो कि तेज़ गेंदबाज़ी के साथ-साथ पारी के अंत में ठीक-ठाक बल्लेबाज़ी भी कर लेते हैं।

हालांकि लखनऊ के कप्तान केएल राहुल ने गेंदबाज़ी में क्रुणाल, दीपक और स्टॉयनिस का प्रयोग नहीं किया। शायद उनको इसकी ज़रुरत भी नहीं पड़ी। मैच के बाद में राहुल ने कहा भी कि उन्होंने क्रुणाल का प्रयोग इसलिए नहीं किया क्योंकि बाएं हाथ के इस गेंदबाज़ पर बाएं हाथ के शिमरन हेटमायर भारी पड़ सकते थे, जो उस समय ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी कर रहे थे।

टीम में ऑलराउंडर का होना यह नहीं कहता कि आप हर समय उनका उपयोग ही करे। अच्छी रणनीति तो यह कहती है कि आप किस समय अपने किस संसाधन का प्रयोग कर रहे हैं। जैसे- लखनऊ ने ऑफ़ स्पिनर गौतम को तब टीम में लाया जब उनके विरोधी टीम दिल्ली कैपिटल्स या राजस्थान रॉयल्स के पास अधिक बाएं हाथ के बल्लेबाज़ थे। इसका उन्हें फ़ायदा भी मिला। राजस्थान के ख़िलाफ़ मैच में उन्होंने दो महत्वपूर्ण विकेट लिए और हेटमायर के ख़िलाफ़ उन्होंने 14 गेंदों में सिर्फ़ 14 रन दिया। जबकि हेटमायर अन्य गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ 200 के ऊपर के स्ट्राइक रेट से रन बना रहे थे।

सीज़न की शुरुआत से ही राजस्थान रॉयल्स मज़बूत टीम नज़र आ रही है। उनके पास एक मज़बूत बल्लेबाज़ी शीर्ष क्रम के साथ-साथ 20 ओवर डालने के लिए पांच बेहतरीन गेंदबाज़ भी हैं। हालांकि उनके पास कोई ऐसा फ़्लोटर नहीं है, जो नंबर छह या सात पर आकर तेज़ बल्लेबाज़ी कर सके। आर अश्विन उनके लिए नंबर सात पर आते हैं, जिनके नाम पांच टेस्ट शतक तो है लेकिन वह एक क्लासिकल बल्लेबाज़ हैं और टी20 में उनके लिए नंबर सात को आदर्श नहीं कहा जा सकता।

लेकिन रविवार को हुए मैच में अश्विन नंबर छह पर आए। चूंकि राजस्थान के शीर्ष चार विकेट ज़ल्दी ही गिर गए थे, इसलिए उन्हें 10वें ओवर में ही हेटमायर का साथ देने के लिए आना पड़ा। इससे रियान पराग को सातवें नंबर पर आने का मौक़ा मिला, जो ऐसी परिस्थितियों में ज़्यादा बेहतर बल्लेबाज़ हैं। इससे पता चलता है कि टी20 में बल्लेबाज़ी क्रम नहीं बल्कि यह मायने रखता है कि किस शैली का बल्लेबाज़ कब बल्लेबाज़ी करने आ रहा है।

रणनीति की पेचीदगी से भरे इस मैच में सबसे बड़ा मौक़ा तब आया, जब अश्विन ने ख़ुद को रिटायर्ड आउट कर लिया। यह आईपीएल के इतिहास का पहला मौक़ा था। आर अश्विन से ऐसी उम्मीद भी की जा सकती है, क्योंकि वह एक जटिल क्रिकेटिंग दिमाग रखते हैं और वैध रूप से होने वाला वह सब काम करना चाहते हैं जो उनको और उनकी टीम को फ़ायदा पहुंचाए। वह ऐसा पहले भी कर चुके हैं, जब उन्होंने ऑफ़ स्पिन के साथ-साथ लेग स्पिन को भी अपना हथियार बनाया या फिर किसी बल्लेबाज़ को रन अप लेते वक़्त ही नॉन स्ट्राइक पर रन आउट कर दिया। अगर यह सब क्रिकेट के नियमों के अन्तर्गत है, जो अश्विन उसे करने से बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाएंगे। रविवार को भी उन्होंने ऐसा ही किया।

रविवार को जहां राजस्थान की टीम ने अपनी रणनीति दिखाई तो लखनऊ भी कहां पीछे रहने वाला था। उन्होंने अपने बल्लेबाज़ी क्रम को लंबा करने के लिए और पारी के अंत तक बल्लेबाज़ी को बचाए रखने के लिए बल्लेबाज़ी क्रम में कई बदलाव किए। केएल राहुल का विकेट गिरने के बाद उन्होंने नंबर तीन पर गौतम को बल्लेबाज़ी के लिए भेजा, जो कि 168 के स्ट्राइक रेट के साथ एक पिंच-हिटर के रूप में जाने जाते हैं।

हालांकि यह रणनीति काम नहीं की और बोल्ट ने उन्हें पहले ही गेंद पर एलबीडब्ल्यू आउट कर दिया। इसके बाद लोगों को लगा होगा कि ऑस्ट्रेलिया के टी20 विश्व कप जीत के हीरो स्टॉयनिस नंबर चार पर आएंगे, क्योंकि वह बिग बैश लीग में लगातार शीर्ष तीन में ही बल्लेबाज़ी कर रहे थे। या फिर हो सकता हो कि आयुष बदोनी या फिर दीपक हुड्डा को भेजा जाता, जो कि मध्य क्रम के ही बल्लेबाज़ हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ इन तीनों को छोड़कर लखनऊ ने जेसन होल्डर को भेजा, जो कि लंबे छक्के लगाने के साथ-साथ ही तकनीकी रूप से भी काफ़ी सक्षम बल्लेबाज़ हैं। हालांकि लखनऊ की यह रणनीति भी असफल हो गई और वह 17 गेंदों में सिर्फ़ आठ रन बना पाए और आउट हो गए।

स्टॉयनिस को नीचे रखने का लखनऊ को फ़ायदा भी हुआ और वह लगातार विकेट गिरने के बाद भी अपनी बल्लेबाज़ी की बदौलत मैच को अंतिम ओवर तक ले गए। लेकिन वहां पर इस रणनीतिक द्वंद को अपना पहला आईपीएल मैच खेल रहे राजस्थान के तेज़ गेंदबाज़ कुलदीप सेन ने जीत लिया, जिन्होंने अंतिम ओवर की पहली चार गेंदों पर सिर्फ़ एक रन देकर मैच को राजस्थान के नाम करा दिया।

कार्तिक कृष्णस्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी के दया सागर ने किया है

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